Thursday, May 26, 2011

पूज्य योगगुरु स्वामी रामदेव जी

पूज्य योगगुरु स्वामी रामदेव जी के प्रति समर्पण

पू -रब को जानो पश्चिम का मत अँधा -अनुकरण करो,
ज -योति योग की पुनापर्जुवालित हुई इसी का वरन करो.
य -ह युग -युगान्तरो का मेला विलय संधि कि बेला ह,
यो -ग ही नहीं "सोलह कला" सिखाता वो अलबेला है .
ग -हराइ सागर सी जिसका है उत्कर्ष हिमालय सा,
गु -नजाए जब मंत्र समूचा देश लगे देवालय सा .
रु -के न खुद जन - पथ से सारे अवरोध हटाये हैं,
स् -वस्त्य रहे तन - मन सबके ऐसे सूत्र बताये हैं.
वा -नि में है ओज हरदया में सबके हिय के ताप लिए,
मी -त बना सब जग को जन - जन के संताप लिए.
रा -सट - धर्म सर्वोच्च बताया अपने शुभ संदेशो मैं,
म -हिमा गई कर्म - योग की दुनिया भर के देशो मैं.
दे -ने स्वस्थ्य चले प्राणायाम का महा - अभियान चलाया,
व -ह जब चले जाग्रति को सारा हिंदुस्तान जगाया.
जी -ना हमको सिखा रहे है महापुर्शो के आदर्श लिए,
सुमन यही विनती पराभू से स्वामी जी सहस्रों वर्ष जिए.

कवि सुमनेश सुमन
आत्मज - महाकवि पंडित ताराचंद हारित
०१२१- २५७७७८५ , 099970911719

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