Tuesday, September 12, 2023

एक अकेला सब पर भारी - मोदी स्वागत की करो तैयारी


एक अकेला पार्थ खड़ा हैं... भारतवर्ष बचाने को...!

सभी विपक्षी साथ खड़े हैं... केवल उसे हराने को...!!

भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने... मायाजाल बिछाया हैं...!

भ्रष्टाचारी जितने कुनबे... सबने हाथ मिलाया हैं...!!

समर भयंकर होनेवाला... आज दिखाई देता हैं...!

राष्ट्रधर्म का कृनदन... चारों ओर सुनाई देता हैं...!!

फेंक रहे हैं सारे पासे... जनता को भरमाने को...!

सभी विपक्षी साथ खड़े हैं... केवल उसे हराने को...!!

चीन और नापाक चाहते... भारत में अंधकार बढ़े...!

हो कमजोर वहाँ की सत्ता... अपना फिर अधिकार बढ़े...!!

आतंकवादी संगठनों का... दुर्योधन को साथ मिला...!

भारत के जितने बेरी हैं... सबका उसको हाथ मिला...!!

सारे जयचंद ताक में बैठे... केवल उसे मिटाने को...!

सभी विपक्षी साथ खड़े हैं... केवल उसे हराने को...!!

भोर का सूरज निकल चूका हैं... अंधकार घबराया हैं...!

कान्हा ने अपनी लीला में... सबको आज फँसाया हैं...!! 

कौरव की सेना हारेगी... जनता साथ निभाएगी...!

अर्जुन की सेना बनकर के... नइया पार लगाएगी...!!


जय श्रीराम 🙏🚩


Thursday, September 2, 2021

16 सुख

 पहला सुख - निरोगी काया,

दूजा सुख - घर में हो माया,


तीजा सुख - सुलक्षणा नारी,

चौथा सुख - हो पुत्र आज्ञाकारी,


पाँचवा सुख सदन हो घर का।

छट्ठा सुख न कर्जा हो पर का।


सातवाँ सुख स्वदेष में हो बासा

आठवाँ सुख राज हो पासा  |           ( राजनीती में पकड़ हो )


नौवाँ सुख भाई और बहन हो ।

दसवाँ सुख न बैरी स्वजन हो।।


ग्यारहवाँ मित्र हितैषी सच्चा।

बारहवाँ सुख पड़ौसी अच्छा।।


तेरहवां सुख उत्तम हो शिक्षा

चौदहवाँ सुख सद्गुरु से दीक्षा


पंद्रहवाँ सुख हो साधु समागम।

सोलहवां सुख संतोष बसे मन।


सोलह सुख ये होते भविकजन।

जो पावैं सोइ धन्य हो जीवन।।

Saturday, August 7, 2021

हम करें राष्ट्र आराधन - (चाणक्य , दूरदर्शन )

हम करें राष्ट्र आराधन, आराधन

हम करें राष्ट्र आराधन, आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन, आराधन

अन्तर से, मुख से, कृति से
निश्छल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन...

अपने हँसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन...

अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन...

है याद हमें युग युग की
जलती अनेक घटनायें
जो माँ की सेवा पथ पर
आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था
जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था
माता का अरिमुंडो से

हमने ही उसे दिया था
सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से
करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से
वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर
हम करें पुनः संस्थापन 
हम करें राष्ट्र आराधन...

Movie/Album: चाणक्य [डी.डी.१] (1991)

Music By: अशित देसाई
Lyrics By: 'जयशंकर प्रसाद' या 'विश्वनाथ शुक्ला' या 'हरिवंश प्रसाद शुक्ला'
Performed By: तक्षशिला विश्वविद्यालय के छात्र

Saturday, February 22, 2020

देश प्रेम का मूल्य प्राण है, देखे कौन चुकाता है।




देश प्रेम का मूल्य प्राण है, देखे कौन चुकाता  है।
देखे कौन -सुमन शय्या ताज कंटक  अपनाता है।......

सकल मोह ममता को तज कर माता जिसको प्यारी हो.
शत्रु का हिय छेदन हेतु जिसकी तेज कटारी हो .......
मातृभूमि के  राज्य तज जो बन चूका भिखारी हो।...
अपने तन -मन धन जीवन का स्वयं पूर्ण अधिकारी हो।..
आज उसी के लिए संघ ये भुज अपने .फैलाता है।..

देखे कौन -सुमन शय्या ताज कंटक  अपनाता है।...............

कष्ट कंटको  में पड़ करके जीवन पट झीने होंगे।..
काल कूट के  विषमय प्याले प्रेम सहित पीने होंगे।....
अत्याचारों की आंधी ने कोटि  सुमन छीने होंगे.......
एक तरफ संगीने होंगी एक तरफ सीने होंगे।.......
वही वीर अब बढे जिसे हँस -हँस  कर मरना आता है.

देखे कौन -सुमन शय्या ताज कंटक  अपनाता है।...............

भारत माता की जय !!

Thursday, February 20, 2020

वालिद की वफ़ात पर - निदा फाज़ली

" वालिद(पिता) की वफ़ात(मृत्यु) पर " - पिता को समर्पित कविता


तुम्हारी कब्र पर
मैं फातिहा पढ़ने नहीं आया

मुझे मालूम था
तुम मर नहीं सकते
तुम्हारी मौत की सच्ची ख़बर जिसने उड़ाई थी
वो झूठा था
वो तुम कब थे
कोई सूखा हुआ पत्ता हवा से हिल के टूटा था
मेरी आँखें
तुम्हारे मंजरों में कैद हैं अब तक
मैं जो भी देखता हूँ
सोचता हूँ
वो - वही है
जो तुम्हारी नेकनामी और बदनामी की दुनिया थी
कहीं कुछ भी नहीं बदला
तुम्हारे हाथ
मेरी उँगलियों में साँस लेते हैं
मैं लिखने के लिए
जब भी कलम काग़ज़ उठाता हूँ
तुम्हें बैठा हुआ अपनी ही कुर्सी में पाता हूँ
बदन में मेरे जितना भी लहू है
वो तुम्हारी
लग्ज़िशो नाकामियों के साथ बहता है
मेरी आवाज़ में छुप कर
तुम्हारा ज़हन रहता है
मेरी बीमारियों में तुम
मेरी लाचारियों में तुम
तुम्हारी कब्र पर जिसने तुम्हारा नाम लिक्खा है
वो झूठा है
तुम्हारी कब्र में मैं दफ्न हूँ
तुम मुझ में ज़िन्दा हो
कभी फ़ुर्सत मिले तो फातिहा पढ़ने चले आना

-- निदा फाज़ली

वालिद  - पिता 
वफ़ात - मृत्यु 
फातिहा - मृत व्यक्तियों की आत्मा की शांति  के लिए कब्र या मजार पर पढ़ी जाने वाली आयत 
मंजर   - द्रश्य 
लग्ज़िशो - विलासिता




सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर.
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ जिन में हो जुनून कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यूँ खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसि के दिल में है.
दिल में तूफ़ानों कि टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज.
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है
--राम प्रसाद बिस्मिल 

Tuesday, July 17, 2018

RSS Prarthna With Full Meaning आरएसएस प्रार्थना अर्थ के साथ

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,
(हे परम वत्सला मातृभूमि! मै तुझे निरंतर प्रणाम करता हूँ,)
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
(हे हिंदुभूमि, तूने सब सुख दे कर मुझको बड़ा किया|)
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे,
(हे महा मंगला पुण्यभूमि!)
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
(तेरे ही कारण मेरी यह काया, तुझको अर्पित, तुझे मै अनन्त बार प्रणाम करता हूँ।।)
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता,
(हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिन्दुराष्ट्र के अंगभूत घटक,)
इमे सादरं त्वां नमामो वयम् |
(तुझे आदर पूर्वक प्रणाम करते है।)
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयं,
(तेरे ही कार्य के लिए हमने कमर कसी है,)
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ||
(उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद दे||)
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं,
(सारा विश्व का सामना कर सके, अजेय ऐसी शक्ति दे ,)
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् |
(सारा जगत विनम्र हो ऐसा विशुद्ध (उत्तम) शील|)
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं,
(तथा बुद्धि पूर्वक स्वीकृत, हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करे,)
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
(ऐसा ज्ञान भी हमें दे।।)
समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं
(अभ्युदय सहित निःश्रेयस की प्राप्ति का,)
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
(वीर व्रत नामक जो सर्वश्रेष्ठ, साधन है,)
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
(उसका हम लोगों के अंत:करण में स्फुरहण हो,)
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।
(हमारे हृदय मे, अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे।)
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
(तेरे आशीर्वाद से हमारी विजय शालीन संघटित कार्य शक्ति,)
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
(धर्म का रक्षण कर ।)
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
(अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति,)
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
(पर ले जाने में अतीव समर्थ हो ।।)
भारत माता की जय ।।