देश प्रेम का मूल्य प्राण है, देखे कौन चुकाता है।
देखे कौन -सुमन शय्या ताज कंटक अपनाता है।......
सकल मोह ममता को तज कर माता जिसको प्यारी हो.
शत्रु का हिय छेदन हेतु जिसकी तेज कटारी हो .......
मातृभूमि के राज्य तज जो बन चूका भिखारी हो।...
अपने तन -मन धन जीवन का स्वयं पूर्ण अधिकारी हो।..
आज उसी के लिए संघ ये भुज अपने .फैलाता है।..
देखे कौन -सुमन शय्या ताज कंटक अपनाता है।...............
कष्ट कंटको में पड़ करके जीवन पट झीने होंगे।..
काल कूट के विषमय प्याले प्रेम सहित पीने होंगे।....
अत्याचारों की आंधी ने कोटि सुमन छीने होंगे.......
एक तरफ संगीने होंगी एक तरफ सीने होंगे।.......
वही वीर अब बढे जिसे हँस -हँस कर मरना आता है.
देखे कौन -सुमन शय्या ताज कंटक अपनाता है।...............
भारत माता की जय !!
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